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छठ पूजा हिंदू धर्म का एक पवित्र और आस्था से परिपूर्ण त्योहार है, जो सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जब व्रती महिलाएं और पुरुष शुद्ध भोजन ग्रहण कर व्रत का संकल्प लेते हैं। चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में साफ-सफाई और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। दूसरे दिन खरना मनाया जाता है, जिसमें गुड़ और चावल से बने प्रसाद को ग्रहण किया जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। खरना के बाद व्रती 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास रखते हैं, जो पूरी तरह से श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है।


तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे छठ पूजा का मुख्य आयोजन माना जाता है। व्रती नदी, तालाब या जलाशय के किनारे सामूहिक रूप से खड़े होकर सूर्य देव की आराधना करते हैं और छठी मैया को पूजा अर्पित करते हैं। चौथे और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। इस पूजा के दौरान बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, नारियल और अन्य प्रसादों को सजाकर सूर्य देव को अर्पित किया जाता है। छठ पूजा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह प्रकृति और मानव के बीच सामंजस्य का प्रतीक भी है। इसमें सूर्य की उपासना के माध्यम से स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार की खुशहाली की कामना की जाती है।